हाथों मे आसमान
आज दिनांक १७.९.२३ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर प्रतियोगिता वास्ते मेरी प्रस्तुति:
हाथों मे आसमान:
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..........................तुम ..............................................
तुम जब भी निकट मेरे आते हो
हाथों पर आसमान लिए आते हो।
इतने मधुर स्वप्न दिखाते हो तुम,
जी करता है चूम लूं तुमको अधरों को।
कभी वह अत्याधिक सुनहरे होते,
विश्वास नहीं होता उन पर,
कभी विश्वास हो भी जाता और
चूर चूर स्वप्न हो जाते हैं।
कष्ट का अहसास भी होता है ,
जब स्वप्न बिखर सब जाते हैं।
दिल करता है ऐंसा होने पर,
घूंसे घूंसे मैं तुम पर बरसाऊं।
जब तुम आ कर अफ़सोस दिखाते हो,
सब क्रोध वाष्प बन उड़ जाता,
तब मैं तुम्हारे तसव्वुर पर,
बस प्यार दिखाया करती हूं।
कुछ पल के ही सही तुमने
मधुर स्वप्न तो दिखलाए,
दुखभरी कष्टप्रद दुनिया से,
कुछ पल को तो मुक्ति पाऊं।
जैंसे भी हो तुम अच्छे हो,
मधुर स्वप्न तो दिखा ही देते हो।
बदलेंगे कभी हक़ीक़त मे,
दिल मे आस जगाते हो।
हाथों मे आसमान उठा तुम
जब भी निकट मेरे आते हो।
पल भर को सारे कष्ट भूल,
मैं सपनों मे खो जाती हूं।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
Varsha_Upadhyay
19-Sep-2023 07:16 PM
Nice
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Reena yadav
18-Sep-2023 08:02 AM
👍👍
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